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प्रगतिवादी रंगमंच और वामपंथी नाटकों में स्त्री-चित्रण

सुनिता भारती एक प्रगतिवादी नाटक देखने के बाद दर्शकों को समझ में नहीं आता कि उन्होंने क्या देखा! अंग्रेज साम्राज्यवादियों ने भारतीय विद्वानों की ही एक भारत-विरोधी लॉबी का निर्माण किया था, जिसका काम था हिन्दू समाज को नीचा दिखाना; ताकि यह साबित हो सके कि जहाँ हजार तरह की अपरिष्कृत परम्पराएँ विद्यमान हैं, वह … Continue reading प्रगतिवादी रंगमंच और वामपंथी नाटकों में स्त्री-चित्रण

बादल सरकार का नाटक पगला घोड़ा : कथानक और रंगदृष्टि

The plot, objective and theatricality of Badal Sarkar’s play PAGLA GHODA has been analysed, with full story, in this review by me in present context. In fact, the circumstances and occurrences taken to weave the plot are not so relevant at present, but are necessarily indicators of self-imposed dominance of males over women in our contemporary society; hence, the play is, of course, a good choice for staging commercially, provided a modified stage-script is prepared in compliance with commercial stage-rules.

दीदारगंज यक्षिणी : सम्पूर्ण-नारीत्व का प्रतीक

1917 में पटना के दीदारगंज से प्राप्त मौर्य-कालीन प्रस्तर प्रतिमा ‘दीदारगंज यक्षिणी’ कला-इतिहास में एक विशिष्ठ स्थान रखता है। विश्व की कतिपय प्रसिद्द प्राचीन मूर्ति-कलाओं में प्राचीनता, कलात्मकता, रचनात्मकता और तकनीक की दृष्टि से इस कला-कृति का एक महत्वपूर्ण स्थान है। इस कलाकृति को भारत1 का प्रथम त्रिविमीय नारी-मूर्ति होने का गौरव भी प्राप्त है। दीदारगंज … Continue reading दीदारगंज यक्षिणी : सम्पूर्ण-नारीत्व का प्रतीक

Heritage play YAKSHINI at IGNCA, New Delhi

अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के अवसर पर नाटक यक्षिणी का इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र नई दिल्ली में मंचन India’s first play based on archaeological artifact YAKSHINI was staged at IGNCA New Delhi on the occasion of INTERNATIONAL MUSEUM DAY, May 18, 2019. नाटकों में नित नए प्रयोग होते रहते हैं, किन्तु नाटकों का प्रयोग गैर-परंपरागत … Continue reading Heritage play YAKSHINI at IGNCA, New Delhi

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